नोएडा समाचार: प्रबंधन और प्रधानाचार्य के महिला शिक्षकों के साथ अभद्र व्यवहार से नोएडा सेक्टर 56 स्थित उत्तराखंड पब्लिक स्कूल एक बार पुनः सुर्ख़ियों में है। विद्यालय के करीब 17 शिक्षकों ने प्रबंधन और प्रधानाचार्य पर गंभीर आरोप लगाए हैं और आज विद्यालय परिसर के बाहर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया। इसके साथ ही उन्होंने प्रबंधन के खिलाफ नोएडा के सेक्टर 58 थाने में एक शिकायत पत्र पुलिस को सौंपा है।
क्या है पूरा मामला:
कई दिनों से से नोएडा सेक्टर 56 स्थित उत्तराखंड जन कल्याण परिषद द्वारा संचालित एक विद्यालय में शिक्षकों और प्रबंधन के बीच सैलरी को लेकर विवाद चल रहा है। शिक्षकों के अनुसार प्रबंधन उन्हें उनकी सैलरी का लगभग 15 से 20 प्रतिशत हिस्सा कैश में वापस ले लेता है। इस पर प्रबंधन का तर्क है कि विद्यालय स्ववित्तपोषित है। विद्यालय की देन-दारियों को पूर्ण करने के लिए यह रकम लेता है। यह प्रक्रिया प्रबंधन ने वर्ष 2019 से शुरू की थी। जो शिक्षक इस बात पर अपनी नाराजगी व्यक्त करता उसके साथ प्रबंधन बेहद बुरा बर्ताव करता और विद्यालय से निकाल देने की धमकी देता। धीरे-धीरे प्रबंधन यह रवैया पुराने वरिष्ठ शिक्षिकाओं पर भी होने लगा। वे कहती हैं अब प्रबंधन गाली-गलौज और अपशब्दों का प्रयोग कर उन्हें डराना-धमकाना चाहता है, जो उनके लिए असहनीय है।
इस मामले की शिकायत उन्होंने सर्वप्रथम नोएडा सिटी मजिस्ट्रेट को की। जिस पर प्रबन्धन और पीड़ित शिक्षकों के बीच मध्यस्थता कर उन्होंने प्रधानाचार्य और प्रेजिडेंट हरीश पपनै को निर्देशित किया कि वे समय सीमा के भीतर शिक्षकों के वेतन से ली गई धनराशि वापस करे और तत्काल अपने पदों से त्यागपत्र दे। जानकारी के मुताबिक प्रधानाचार्य और प्रेजिडेंट हरीश पपनै ने अपना त्यागपत्र दे दिया है और अपने चहेते को प्रधानाचार्य के पद पर बिठा दिया है। लेकिन इस बीच विद्यालय प्रबंधन ने न ही पीड़ित शिक्षकों से वार्ता की और न ही उनका वेतन वापस किया। इस बीच शिक्षकों से बेहद बर्ताव किया गया। जिससे क्षुब्ध होकर आज करीब 17 शिक्षक और शिक्षिकायें विद्यालय परिसर के बाहर धरने पर बैठे।
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नोएडा सिटी मजिस्ट्रेट पहुंचे धरना स्थल
मामले को संज्ञान में लेते हुये नोएडा सिटी मजिस्ट्रेट और शिक्षा विभाग के अधिकारी धर्मवीर सिंह घटना स्थल पर पहुंचे और शिक्षकों से वार्तालाप की और भरोसा दिलाया कि वे इस मामले पर कठोर कार्रवाही करेंगे। जिस पर शिक्षक ने भरोसा किया है और अपने शिक्षण कार्य पर वापस आ गए हैं।
महिला शिक्षकों ने लगाए संगीन आरोप
महिला शिक्षकों ने विद्यालय के प्रेसिडेंट पर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है विद्यालय के सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा बेहद ही अशोभनीय और अपशब्दों का प्रयोग कर उन्हें धमकाया जा रहा है। उन्होंने ने कहा कि आराम कक्षों पर सीसीटीवी कैमरे लगाकर कर महिला शिक्षकों की गोपनीयता पर प्रहार किया जा रहा है। शिक्षा के मंदिर पर शिक्षकों पर विद्यालय के प्रेसिडेंट का यह वर्ताव उनके लिए बेहद अपमानजनक और शर्मनाक है।
बेस्ट टीचर का अवार्ड मिला पर…
इस वर्ष विद्यालय की एक शिक्षिका को ‘बेस्ट टीचर’ के अवार्ड के लिए चुना गया और उन्हें शिक्षक दिवस के मौके पर उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित किया गया, लेकिन विद्यालय के प्रबंधन को अपने विद्यालय की शिक्षिका की इस उपलब्धि पर कोई भी फर्क नहीं पड़ा। पुरस्कार पाने वाली शिक्षिका ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि – उनकी इस उपलब्धि को विद्यालय के छात्र-छात्राओं तक को नहीं बताया गया। इस बीच उन्होंने मेरे से बेहद अपशब्दों का इस्तेमाल किया और अततः मैंने अपना त्यागपत्र प्रबंधन और प्रधानाचार्य को सौंप दिया।
कुछ वषों से विद्यालय की छवि धूमिल हुई है
विद्यालय के अभिभावकों ने बेहद नाराजगी भरे अंदाज में कहा कि जब से यह नया प्रबंधन और प्रधानाचार्य नियुक्त हुए हैं विद्यालय में शिक्षा का ग्राफ गर्त में चले गया है। यहाँ वरिष्ठ और अनुभवी शिक्षकों को प्रताड़ित कर उन्हें विद्यालय छोड़ने को मजबूर किया जा रहा है।
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विद्यालय में ड्रेस बदल दी जाती है
इस दौरान अभिभावकों ने यह भी आरोप लगाया कि प्रबंधन द्वारा छात्र-छात्राओं की ड्रेस बदल दी जाती है, कभी विद्यालय के ड्रेस में लोगों बदल दी जाती है और फिर अभिभावकों पर नयी ड्रेस खरीदने के लिए दबाव बनाया जाता है। मजबूरन उन्हें न चाहते हुए भी ड्रेस बदलनी पड़ती है, जिससे उनपर आर्थिक भार पड़ता है।
उत्तराखंड के लोगों के खून पसीने से सींचा है यह विद्यालय
नोएडा में स्थित यह विद्यालय करीब 30 वर्ष पूर्व उत्तराखंड के कुछ हितैषी लोगों ने प्रारम्भ किया, ताकि सभी सामान्य वर्ग के लोगों को अच्छी शिक्षा का लाभ मिले। इस बीच विद्यालय ने अच्छे मुकाम हासिल किये। नोएडा जैसे प्रमुख शहर में अपना ख़ास नाम किया। विद्यालय से पढ़े बच्चे अच्छे-अच्छे पदों पर चले जाने लगे। इस विद्यालय में अधिकांश प्रवासी उत्तराखंडियों के बच्चे पढ़ते हैं। उन्होंने अपनेपन के कारण इस विद्यालय को भरपूर सहयोग किया है लेकिन 4-5 वर्षों पहले बदले प्रबंधन ने विद्यालय के नाम को ख़राब करने की कोशिश की है। यह सभी आरोप अभिभावकों ने प्रबंधन पर लगाये हैं।
शिक्षा के मंदिर से इस प्रकार के खबरें बेहद चिंताजनक है। जहाँ बच्चों के भविष्य का निर्धारण होता है, वहां इस प्रकार की हरकतें अभिभावकों के लिए झकझोर देने वाली हैं। वहीं इस घटना पर प्रशासन विद्यालय प्रशासन का भी पक्ष सुन आगे की कार्यवाही करे। यह सभी अभिभावकों का है।